हिम्मत और जिदंगी | class 9 hindi first chapter assamese medium.

हिम्मत और जिदंगी Hindi. SEBA Class 9 NCERT Solution for Class 9 Hindi Chapter 1 हिम्मत और जिदंगी |

IX Solution for Assamese Medium | Hindi Solution | SEBA Class 9 Hindi Solution Hindi Assamese Medium | Hindi Class 9 Chapter 1 Solution |

NCERT Solution for Class 9 Hindi Chapter 1

 

 

SEBA Board Class 9 Hindi Textbook Solution

SEBA Board Class 9 Hindi Textbook Solution for Class 9 Hindi Chapter 1 - हिम्मत और जिदंगी

 

हिम्मत और जिदंगी

 

अ) सही विकल्प चयन करो-

     1. किन व्य़क्तियीं को सुख का स्वाद अधिक मिलता है?

(क)    जो सुख का मूल्य़ पहले चुकाता है ।

(ख)    जो सुख का मूल्य़ पहले चुकाता है और उसके मजा बाद में लेता है ।

(ग)     जिसके पास धन और बल दोनों हैं ।

(घ)     जो पहले दु:ख झेलता है ।

उत्तर: (क) जो सुख का मूल्य़ पहले चुकाता है और उसके  

       मजा  बाद में लेता है ।

     2. पानी में जो अमृत – तत्व है, उसे कौन जान है ?

(क)    जो धुप में खूब सूख चुका है ।

(ख)    जिसका कठं सूखा हुआ है ।

(ग)     जो प्यासा है ।

(घ)     जै रेगिस्तान से आया है ।

उत्तर: जो धुप में खूब सूख चुका है ।

    3. गधुलि वाली दुनिया के लोंगो से अभिप्राय है-

(क)    विवशता और  अभाव में जीने वाले लोग ।

(ख)    जय- पराजय के अनुभव से परे लोग ।

(ग)     फल की कामाना न करने वाले लोग ।

(घ)     जीवन की दांव पर लगाने वाले लोग ।

उत्तर:   जीवन की दांव पर लगाने वाले लोग ।

    4. साहसी मनुष्य की पहली पहकचान यह है कि वह-

(क)    सदा आगे बढ़ता जाता ।

(ख)    बाधओं से नहीं घबराता हैं।

(ग)     लोगों की सोच की परवाह नहीं करता ।

(घ)     बिलकुल निडर होता है ।

उत्तर: लोगों की सोच की परवाह नहीं करता ।

     5. संक्षिप्त में उत्तर दो (लगभग 25 शब्दों में) –

(क) चांदनी की शीतलता का आनंद कैसा मनुष्य़ उठा पाता  है ?


    उत्तर: चांदनी की शीतलता का आनंद वह मनुष्य़ उठा पाता है । जो दिनभर धुप में थक कर लोटता है जिसके शरीर को तरलाइ की मसुस होता है। और जिसका मन य़ह जानकर सतुष्ट हौता है ।


(ख)    लेखक ने अकेले चलने वाले की तुलना सिंह से क्य़ों की है ?

  उत्तर: सिहं पनी दुनिया में मस्त बेपरवाह घुमतें फिरते है। वो अकले हौते है पर  भी पनी दुनिया में मग्न रहता है। लेखक नें अनुसार तो झुठं में चलना और झुठं में चढ़ना यह भेस औरभे की काम है। इसलिए लेखक ने अकले चलने वाले की तुलना सिहं से की।


(ग)     जिदंगी का भेद किसे मालुम है ?

उत्तर: जिदंगी का भेद उसे मालुम ही है जो यह जानकर चलता है कि जिदंगी भी खत्म न होने वाली चीज है ।

(घ)     लेखक ने जीवन के साधकों को क्य़ा चुनती दी है?

उत्तर: औरे ओ जीवन के साधंको किनारे की मरी हुई सीपीयो से ही तुम संतोष ही जाए तो समुद्र के अतंराल में छीपे हुए मोक्तिकोष कोन वाहार लाएगा। य़ह कहकर लेखक ने जीवन के साधंको को चुनती दी।

 

    6.  निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दो (लगभग 50 शब्दों में)

      क. लेखक ने जिदंगी की कौन से दी सूरतें बताइ है और उनमें से किसे बेहतर माना है ?

उत्तर: लेखक ने जिदंगी को दो सुरते बताइ है कि – आदमी बड़े से बड़े मकसद के लिए कोशिश करे जगमगाती हुई जीत पर पंजा डालने के लिए  हाथ बढ़ाए और असफंलताए कदन- कदम हाथ लगे, तब बी वह जीछे की पांव नो होटाए । दुसरी सुरते य़ह है कि उन आम्ताओं के हमजली बन जाए, जो न तो बहुत दुख पाने की सय़ोग है । जहां न जीत होसती है और न कभी हार रोते का अवाज सुनाइ पड़ती है ।

  लेखक ने पहला सुरतो को उपयुक्त स्वीकार किया है ।

     ख.  जीवन में सूख प्राप्त न होना और मौके पर हिम्मत न दिखा पाना –इन दोनों में से लेखक ने किसे श्रेष्ठ माना है ?

उत्तर:  जीवन में सूख प्राप्त न होना और मौके पर हिम्मत न दिखा पाना –इन दोनों में से लेखक ने जीवन में सूख प्राप्त न होने को श्रेष्ठ माना है। क्योंकि किसी काम में सफलता भी मिल सकती है, पर वे कभी हिम्मत नहीं हारती।

पर जो मौके पर मिम्मत न दिखा पाते या परिस्थिति का सामना नो कर भाग आते वे कायर बराबर है।  

                  

    ग. पाठ के अंत में दि गई कविता को य़ुधिष्ठर को क्य़ा शीख दी गई है

उत्तर: यह अरण्य, घनी झाड़ी नहौ है जो काट कर अपना रास्ता बना ले । और नह यह किसी का क्रीतदास है जिसे जो चाहे अपना ले । वह जीवन उनका य़ुधिष्ठर जो उससे कोई डरे । वहल तो य़ुद्धभुमि पर निर्भय होकर लड़ते हैं । अर्थात य़ुधिष्ठर को कहा गया है कि तुम वनवास का कष्ट सहन किय़ो हो राज्य़ करने के लिए ।क्रीत दास होने के लिए नही । संकट से भय पाना जीवन नही है। युद्ध करके जीना ही जिदंगी।  

    7. सप्रसंग व्य़ाख्य़ा करो (लगभग 100 शब्दों में)

(क) साहासी मनुष्य़ नसपने नहीं लेता, वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी सकता है ।

उत्तर: संदॉर्भः प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाष्ठ पुस्तक आलोक के हिम्मत और जिदंगी नामक पाठ से ली गयी है । ईसके रचियता रामधारी सिहं दिनकर जी हैं


प्रसंगः दिनर जी ने एक अच्छी जिदंगी जीने को राह दिखाई है । जीवन को भोग त्य़ाग के साथ कारना चाहिए तभी जीवन में आनन्द प्राप्त होगा ।


व्य़ाखाः लेखक कहते हैं साहस की जिदंगी सबसे बड़ी जिदंगी होती है । और अनकी पहचान है वह निडर और साहासी  है। ऐसे व्यक्ति जनमत की उपक्षा करके दुनिया की असली ताकत होता है। ऐसे साहसी मनुष्य सपनों में वभी आनन्द लेते है । अपनी बुद्धि विचारों से ही काम करते हैं ।


(ख)    कामना का अंचल छोटा मत करो, जिदंगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोङ़ो ।

उत्तर: संदॉर्भः प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाष्ठ पुस्तक आलोक के हिम्मत और जिदंगी नामक पाठ से ली गयी है । ईसके रचियता रामधारी सिहं दिनकर जी हैं


प्रसंगः लेखक कहते है कि में जितनी भी आनन्द बिखरे गए है, उनमें हमरा भी हिस्सा है । समुद्र के गहराइ मे छिपे मोतियों को हम भी निकाल सकता है।


व्य़ाखाः दुनिया में जितनी भी आनन्द बिखरे गए है उनमें हमरा भी हिस्सा है और वह चीज भी हो सकती है जिन्हें हम असम्भव सोचकर लोट आते है ।

 

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Published by Abhiman Das

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