दोहा दशक Class 9 Questions Answer | Class 9 hindi elective question answer.

Sudev Chandra Das

 दोहा दशक Class 9 Questions Answer

1.   सही विकल्प का चयन करो

(क)  कवि बिहारीलाल किस काल के सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते है ?

         (1)    आदिकाल के       (2) रीतिकाल के

      (3) भक्तिकाल के      (4) आधुनिक काल के


उत्तरः रीतिकाल के ।

(ख)  कविवर बिहारी की काव्य़-प्रतिभा से प्रसन्न होने वाले मुगल सम्राट थे –

(1)    औरंगजेब           (2) अकबर

(3) शाहजहाँ            (4) जहाँगीर

उत्तरः शाहजहाँ ।

(ग)    कवि बिहारी का देहावसन कब हुआ ?

(1)    1645 ई. को        (2) 1660 ई. को

(3)  1662 ई. को       (4) 1663 ई. को

उत्तरः 1663 ई. को ।

(घ)    श्रीकृष्ण के सिर पर क्य़ा शोभित है ?

        (1)    मुकुट              (2) पगड़ी

        (3) टोपी               (4) चोटॉ

उत्तरः मुकुट ।

(ङ) कवि बिहारी ने किन्हें सदा साथा रहनवे वाली संपत्ति माना है ?

         (1)    राधा को           (2) श्रीराम को

         (3) य़दुपति कृष्ण को   (4) लक्ष्मी को


उत्तरः य़दुपति कृष्ण को  


2. निम्नलिखित कऑथन शुद्ध हैं य़ा अशुद्ध, बताओः

 (क)  हिन्दी के समस्त कविय़ों में भी बिहारीलाल अग्रिम  

      पंक्ति के अधिकारी हैं ।

उत्तरः शुद्ध ।

 

(ख) कविवर बिहारी को सस्कृत और प्राकृत के प्रसिद्ध काव्य़-

    ग्रंथों के अध्य़यन का अबसर प्राप्त नहीं हुआ था।


उत्तरः शुद्ध ।


(ग) 1645 ई. के आस-पास कवि बिहारी वृत्ति  लेने जय़पुर   पहुंचे थे।


उत्तरः शुद्ध ।


(घ) कवि बिहारी के अनुसार ओछा व्य़क्ति भी बड़ा बन

सकता है ।


उत्तरः अशुद्ध ।


(ङ) कवि बिहारी का कहना है कि  दुर्दशाग्रस्त होने पर भी धन का संचय करते कोइ नीति नहीं है ।

उत्तरः शुद्ध ।


3. पुर्ण वाक्य़  में उत्तरः

  (क) कवि बिहारी ने मुख्य़ रुप से कैसे  दोहों की रचना

      की है ?


उत्तरः कवि बिहारी ने मुख्य़ रुप से श्रृगांर, भक्ति, तथा नीतिपरक दोहा लिखा है ।


  () कविवर बिहारी किनके आग्रह पर जय़पुर में ही रुग  

      गए ?


उत्तरः महाराज जयसिहं  चौहानी रानी के आग्रह पर कव बिहारी जयपुर में ही रुक गये।


  (ग) कवि बिहारी के ख्य़ाति का एकमात्र  आधार-ग्रंध किस नाम को प्रसिद्ध है ।


उत्तरः कवि बिहारी के ख्य़ाति का एकमात्र  आधार-ग्रंध बिहारी सतसई के नाम से प्रसिद्ध है ।


  (घ)  किसमें किससे सौ गुनी अधिक मादकता होती है ?


उत्तरः धतुरा (कनक) से सोना (कनक) में मादकता अधिक होती   है ।


  (ङ) कवि ने गोपीनाथ कृष्ण से क्य़ा-क्य़ा न गिनने की  प्रर्थना की है ?


उत्तरः कवि ने गोपीनाथ कृष्ण से गुण-अवगुण न गिनने की

प्रर्थना की है ।

 

4. अति संक्षेप्त में उत्तर दो  (लगभग 25 शब्दों में)


   (क) किस परिस्तिति में कविवर बिहारी काव्य़-रचना के लिए        जयपुर में ही रुग गए थे ?


उत्तरः कविवर बिहारी जयपुर मे प्रत्य़ेक दोहे के लिए एक अशर्फी की शर्त पर काव्य़-रचना करने लगे।


   ()  य़हि बानक मो बसौ, सदा बिहारीलाल- का भाव क्य़ा           है ?


उत्तरः कवि कहते है कि कृष्ण सिर पर मुकुट तथा कमर में कछनी पहने हैं । हाथों में मुरली तथा गले में माला पहने हैं। कृष्ण की य़ह छवि कवि के मन में बसा हुआ है ।


   (ग) ज्य़ों- ज्य़ों बुड़ौ स्य़ाम  रंग, त्य़ों-त्य़ो उज्जलु होइ –           का आशाय स्पष्ट करो ।


उत्तरः कवि कहते हैं कृष्ण ज्य़ों-ज्य़ों कृष्ण की भक्त में मन डबता जाता है, त्य़ों-त्य़ों मन उज्ज्वल हता जाता है ।


  (घ) आँटि पर प्रानन हरै, कांटे लौं लगि पाय – के                जरिए कवि क्य़ा कहना चाहते हैं ?


उत्तरः कवि कहते हैं दुष्ट लोग के स्वभाव देखकर  कभी विशवास नहीं करना चाहिए क्य़ोंकि अनसर मिलने पर वे प्राणों का हरण भी हरण भी कर सकते हैं । वे कांटें की तरह हैं, जो पैरों में चुख सकते हैं ।


(च)  मन काँचै नाचै बृथा  राँचै राम – का तात्पर्य़ बताओ।


उत्तरः जयमाला, जपने के नाम भक्ति नहीं, उसी से सिद्धि नबीं मिलता । वह सिर्फ दिखावट है । जीवन निर्वाह के लिए काम भी करना पड़ता है । पवित्र में से करना काम ही सच्चा राम भक्त हैं।


5.  संक्षेप्त में उत्तर दो (लगभग 50 शब्दों में)

  (क) कवि के अनुसार अनुरागी चित्त का स्वाभाव कैसा होता         है ?


उत्तरः कवि के अनुलार अनुरागी चित्त का स्वभाव कोई नहीं जानता हैं । क्य़ोंकि ज्य़ों-ज्य़ो मन कृष्ण भक्ति में रमने लगता है । त्य़ों-त्य़ो वह उज्ज्वल हो जाता है।


    (ख) सज्जन का स्नेह कैसा होता है ?


उत्तरः सज्जन का स्नेह की गंभीरता कभी कम नहीं होती जिस प्रकार वस्त्र पर चढ़ाया गया रगं कभी नहीं पड़ता ।


  (ग) धन के संचय के संदर्भ में कवि ने कौन –सा उपदेश         दिया है ?


उत्तरः धन के संचय के विषय में  कवि ने यह उपदेश दिया है  कि दुर्दशाग्रल्त य़ानी बुद्धिहीन लोग धन संचय करना नींही जानता । खाने-पीने के जितना धन की आवशयकता होती है, उतना ही  धन संचय करना चाहिए । य़ानी खा-पीकर जो धन बचता है, उसे ही संचय करना चाहिए।

 

    (घ)  दुर्जन के स्वाभाव के बारे में कवि ने क्य़ा कहा है ?

 

उत्तरः कवि कहते हैं कि दुर्जन के स्वभाव  को देखकर हमें कभी विशवास नहीं करना चहिए क्य़ोंकि अवसर पाते ही वे-प्राण भी हरण करा सकता थे ।  


 (ङ) कवि बिहारी किस वेश में अपने आराध्य़ कृष्ण को मन         में बसा लेना चाहते हैं ?


उत्तरः  कवि अपने आराध्य़ कृष्ण के सिर  पर मुकुट, कमर में काछनी, हाथों में मुरली तथा गले में माला वाले रुप  को अपने मन में बसा लेना चाहते है ।

 

(च) अपने उद्धार के प्रसंग में कवि ने गोपीनाथ कृष्णजी        से क्य़ा निवेदन किया है ?


उत्तरः अपने उद्धार के प्रसंग में कवि गोपीनाथ कृष्णजी  से निदेदन करते हैं कि आप कवि के गुण –अवगुण की गणना न करें ।

(छ)    कवि बिहारी की लोकप्रिय पर एक संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत करो ।


उत्तरः कवि बिहारीलाल हिन्दी साहित्य़ के अन्तर्गत रीतिकाल के सर्वश्रष्ठ कवि माने जाते हैं । हिन्दी के समस्त कवियों में भी अग्रिम पंक्ति के अधिकारी हैं । उन्होंने प्रमुख रुप से प्रम श्रृंगार और गौण रुप से भक्ति एवं नीति के दोहों की रचना करके आपार लोकप्रियता प्राप्त  की ती । उनकी यह लोकप्रियता आज भी बनी हुई और आगे भी बनी रहेगी ।

 

6.  सम्यक् उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में)

   (क) कवि बिहारीलाल का साहित्य़िक परिचय दो ।


उत्तरः कवि बिहारीलाल हिन्दी साहित्य़ के अन्तर्गत रीतिकाल के सर्वश्रष्ठ कवि माने जाते हैं । हिन्दी के समस्त कवियों में भी अग्रिम पंक्ति के अधिकारी हैं । उन्होंने प्रमुख रुप से प्रम श्रृंगार और गौण रुप से भक्ति एवं नीति के दोहों की रचना करके आपार लोकप्रियता प्राप्त  की ती । उनकी यह लोकप्रियता आज भी बनी हुई और आगे भी बनी रहेगी ।

     कवि बिहारी का जन्म 1595 ई.में ग्वालियर के निकेट बसुवा गोविन्दपुर  नामक गाँव में हुआ था । पिता केशवराय के गुरु  महन्त नरहरिदास के यहाँ  बिहारी को संस्कृत और पराकृत  के प्रसिद्ध काव्य़-ग्रंथों के  अध्य़यन का अवसर प्राप्त हुआ था ।तत्कालीन दरबी भाषा  फारसी  में भी अधिकार प्राप्त करके वे अपनी एक फारसी रचना के साथ कलाप्रिय मुगल बादशाह शाहजहाँ से मिले थे । बिहारी को काव्य़-प्रतिभ से सम्राट बड़े ही प्रसन्न हुए और उनके कृपापात्र बने। अब तो कवि बिहारी का कंपर्क मुगल साम्राज्य़ के अधीनस्थ  अन्य़। राजाओं  से भी हुआ। कई राज्य़ों से उनके वृत्ति  मिलने लगी । 1645 ई. को  आस-पास वे वृत्ति लेने  जयपुर पहँचे थे । वहाँ के महाराज जयसिहं और चौहानी रानी के आग्रह पर कवि बिहारी जयपुर में ही रुक गए तथा प्रत्य़ेक दोहे के लिए एक अशर्फी की शर्त पर काव्य़-रचना करने लगे । 1662 ई. तक उनकी सतसई पुरी हुई। 1663 ई. को कविवर बिहारी की देहावसान हुआ ।


   (ख) बिहारी सतसई पर एक टिप्पणी लिखो ।


उत्तरः   बिहारी को एकमात्र कृति है, जो बिहारी  सतसई के नाम से प्रसिद्ध है । यह लगभग सात सौ दोहों का अनुपम संग्रह है ।  इसे श्रृंगार, भक्ति और नीति को त्रिवेणी भी कहते हैं  इस ग्रन्थ को ल्कप्रियता ते संदर्भ में य़ूरोपीय विद्धान डां. ग्रियर्सन ने कहा है, कि यूरोप में इसके समकक्ष  कोई रचना नहीं है ।


   (ग) कवि बिहारी ने अपने भक्तिपरक दोहों  के माध्य़म

       से क्य़ा कहा है  ? पठित दोहों के आधार पर स्पष्ट

       करो ।


उत्तरः कवि ने कृष्ण के रुप सौन्दर्य़ का वर्णन किया है ।वह कहते हैं कि शिर पर मुकुट कमप में काछनी, हाथों में मुरली तथी गले में माल वाला रुप उनके मन सें बस गया है । वह कहता है कि उनका अनुरागी मन जैसे-जैसे स्य़ाम या भक्ति रंग में डुबता जाता हैं, वैसे –वैसे वह उज्ज्वल होता जाता है। कवि कहता है, जप-माला जपने के नाम भक्ति नहीं उसी से सिद्धि नहीं मिलता । वह सिर्फ  दिखावट है । जीवन निर्वाह के लिए काम भी करना पड़ता है । पवित्र में से करना काम ही सच्चा राम भक्त हैं।

 

   (घ)  पठित दोहों के आधार पर बताओ कि कवि बिहारी

        के नीतिपरक दोहों का प्रतिपाध्य़ कय़ा है ?


उत्तरः बिहारी नीतिपरक दोहों के माध्य़म से कहना चाहता हैं कि सज्जन व्य़कति के प्रेम की गंभीरता हमेशा बनी रहती है। ठीक उसी प्रकार जैसे वस्त्र में चढ़ाई गई  रंग । कवि कहते हैं कि दुर्जन के स्वभाव  को देखकर हमें कभी विशवास नहीं करना चहिए क्य़ोंकि अवसर पाते ही वे-प्राण भी हरण करा सकता थे । कवि कहते है किं निकृष्ट स्वभाव वाला व्य़क्ति कभी भी बड़ा महान नहीं हो सकता है ।

 

7. सप्रसंग व्य़ाख्य़ा करो (लगभग 100 शब्दों में)

   (क) कोउ कोरिक संग्रहो ......... बिपति बिदारनाहार।।


उत्तरः प्रसंगः प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक आलोक भग-1 के अन्तर्गत बिहारीलाल  द्धारा रचित   दोहा वदशक शीर्षक से ली गयी है ।

सन्दर्भः  यहाँ कवि के भक्त द्ददय को दर्शाया गया है ।

व्य़ाख्य़ाः इसका आशय यह है कि कोई करोड़ो धन जमा करते हैं, मेरे पास वह धन नहीं  है । मेरे लिए  कृष्ण  ही परम धन है । लाखों-करोड़ो से बहुत ज्य़ादा है । विपत्ति में वो  ही मुझे  उद्धार करेंगे ।

 

   (ख) जय-माला छापै, तिलक ........... साँचे राँचे रामु।।

उत्तरः प्रसंगः प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक आलोक भग-1 के अन्तर्गत बिहारीलाल  द्धारा रचित   दोहा वदशक शीर्षक से ली गयी है ।

सन्दर्भः यहाँ कवि ने भक्ति के बारे में यानी प्रकृत कैसे को जाती है, उसी के बारे में कहा है ।

व्य़ाख्य़ाः कापाल में तिलक लगा कर माला चिरने का काम भक्ति नहीं है । जप-माला  जपने के नाम भक्ति नहीं, उसी से सिद्धि नहीं  मिलता । वह सिर्फ दिखावट  हैं । जीवन-निर्वाह के लिए  काम भी करना पड़ता है । पवित्र मन से काम ही सच्चा रामभक्ति है ।  

 

   (ग) कनक कनक तैं सौ गुनी .......... इहिं पाएँ बौराइ।।


उत्तरः प्रसंगः प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक आलोक भग-1 के अन्तर्गत बिहारीलाल  द्धारा रचित   दोहा वदशक शीर्षक से ली गयी है ।

सन्दर्भः यहाँ कवि के कहने का मतलब यह हे कि धन के कराण लोग अहंकारी बनती है ।

व्य़ाख्य़ाः कनक अमूल्य़ धातु ।  हर मनुष्य इनके लिए मन ही मन अपने को गर्वित होता है ।सिशोषरुप से रमणी इवके लिए बहुत चाहता है । क्य़ों  कि यह उनकी आभुषण है । जहाँ कनक को खाने पर लग पागल है, वहीं कनक (सोना) को पाने ही लोग पागल हो जाते है ।  

 

   (घ) ओछे बड़े न हवै संकै ........... फारि निहारै नैन।।


उत्तरः प्रसंगः प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक आलोक भग-1 के अन्तर्गत बिहारीलाल  द्धारा रचित   दोहा वदशक शीर्षक से ली गयी है ।

सन्दर्भः य़ह नीतिपरक दोहा है ।

व्य़ाख्य़ाः  कवि तहते है कि निकृष्ट व्य़क्ति कभी महान नहीं हो सकता है, चाहे वह उँचा हाकर गगन ही क्य़ों न छू ले । उसी प्रकार आँखों को भले ही फाड़कर देखा जाए परन्तु वे कभी भी अपनी स्वाभाविक आकार से बड़ी महीं हो पाती ।





(क)   संधि-विच्छेद करोः

       देहावसान, लोकोक्ति, उज्ज्वल, सज्जन, दुर्जन


उत्तरः

देहावसान = देह + अवसान    लोकोक्ति = लोक + उक्ति।

उज्ज्वल  = उत् + ज्वल      सज्जन  =  सत् + जन ।

दुर्जन    = दुः + जन

 

(ख)  विलोम शब्द लिखोः

अनुराग, पाप, गुण, प्रेम, सज्जत, मित्र, गगन, श्रेष्ठ


उत्तरः

अनुराग = विराग             पाप   = पुण्य़ ।

 

 गुण  =  अवगुण           प्रेम  = घृणा ।

 

सज्जत =  दुर्जन            मित्र =   शत्रु ।

 

गगन =  धरती             श्रेष्ठ = निकृष्ट।

 

(ग)   निम्निलिखित दोहों के खड़ीबोली (मानक हिन्दी ) गद्म में लिखोः

   मीत ना गलीत हवै, जो धरिय़ै धन जारि ।

   खाए खरचै जो जुरै, तौ जरोए करोरि ।।

   न ए बिससिये लखि नये, दुर्ज दुसह सुभाय ।

   आँटि पर प्रानन हरै, काँटे लौं लागि पाय।।


उत्तरः कवि कहते है कि दुदशर्गस्त होने पर भी धन संचय करना नीति नहीं है । बल्कि खाने-पीने के बाद  जो संचय किया जाता है, वहीं वास्तविक संचय होता है।

   कवि कहतै है, कभी भी दुर्जन व्यक्तियो  पर भी कभी  विशवास नहीम करना चाहिए क्य़ोंकि अवसर आने पर वे प्राण भी हरण कर सकतै हैं । जिस प्रकार काँटा पौरों में छुभकर दर्द  पैदा करता है ।

 

(घ)   निन्मलिखित समस्त-पदों का विग्रह करके समास का नाम बताओः

सतसई, गोपीनाथ, गुन-गुन, काव्य़-रसिक, आजीवन

उत्तरः

सतसई    = सात सौ का समाहार (दिगु सामास)।

 

गोपीनाथ   = गोपी के नाथ (तत्पुरुष समास)।

 

      गुन-गुन   = गुण और अवगुण (दून्द्व समास )।

 

काव्य़-रसिक = काव्य़ के रसिक (तत्पुरुष समास)।

 

आजीवन    = जीवनभर (अव्य़यीभाव समास)।

 

(ङ)    अतंर बनाए रखते हुए निन्मलिखित शब्दो-जोरों के अर्थ बताओः

कनक-कनक, हार-हार, स्नेह-स्नेह, हल-हल, कल-कल

उत्तरः

(1)    कनक = धतुरा

    कनक = सोना

 

(2)    हार   =  माला

    हार   =   पारजय

(3)    स्नेह  =  प्रेम

स्नेह  = सुन्दर

(4)     हल  =  शुद्ध व्य़ंजन

           हल = खेत जोतने का औजार

(5)     कल = आने वाला दिन

     कल = नल

 

 Published  By Abhiman Das


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