नर हो न निराश करो मन को प्रश्न उत्तर | Class 9 hindi elective question answer.

Sudev Chandra Das

नर हो न निराश करो मन को प्रश्न उत्तर | Class 9 hindi elective question answer




   (अ)                  सही विकल्प का चयन करोः

         (क)      कवि ने हमें प्रेरणा दी है –

     (1) कर्म की             (2) आशा की

         (3) गौरव की             (4) साधन की

 उत्तरः कर्म की  ।          

(ख)      कवि के अनुसार मनुष्य को अमरत्व प्राप्त हो सकता है-

      (1) अपने नाम से        (2) धन से

(3) भाग्य़ से            (4) अपने व्य़क्तित्व से

उत्तरः अपने व्य़क्तित्व से ।


(ग)        कवि के अमुसार न निराश करो मन को का

  आशाय है-

(1)                      सफलता प्राप्त करने के लिए आशावन होना ।

(2)                      मन में निराश तो हमेशा बनी रहंती है ।

(3)                      मनुष्य़ अपने प्रयत्न से असफलता को भी  

    सफलता में बदल सकता है ।

(4)                      आदमी को अपने गौरव का ध्य़ान हमेशा रहता

    है ।

उत्तरः सफलता प्राप्त करने के लिए आशावन होना ।

 

   (आ)              निम्नलिखित प्रशनों को उत्तर लिखो (लगभग 50

    शब्दों में)


(क)      तन को उपयुक्त बनाए रखने के क्य़ा उपाय है ?

उत्तरः राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने हमारे तन को उपयुक्त बनाए रखने के लिए कर्मठ रखने का संदेश दिया है। क्योंकि कर्म करके ही हम हमारे शरीर का उपयुक्त बनाए रख सकते है । हर व्य़क्ति अपना काम करके अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रख सकते है । अतः हमे निराश न होकर कर्म व्य़स्त रहना चाहिए ।

(ख)     कवि के अनुसार जग को निरा सपना क्यो नहीं समझना चाहिए ?

त्तरः कवि मैथिलीशरण गुप्त जी के अनुसार इस संसार को हमें केवल सपना नहीं समझाना चाहिए । हमें इस संसार को वास्तव के रुप में देखना चाहिए । उनके अनुसार मनुष्य को अवसर हाथ से जाना नहीं चाहिए।  क्योंकि कर्म से ही मनु,य़ अपना रास्ता कर सकता है ।

 

(ग)       अमरत्व-विधान से कवि का क्य़ा ताप्तर्य़ है ?

उत्तरः राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी के अनुसार अमरत्व-विधान से तात्पर्य यह है कि मनुष्य को चाहिए कि वह महत्व एवं व्य़क्तित्व को पहचाने । तभी उसे आत्मागौरव और प्राप्त हो सकता है ।

 

(घ)       अपने गौरव का किस प्रकार ध्य़ान रखना चाहिए ?

उत्तरः  राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी कहहै है कि हमें गौरव का हमेशा ध्य़ान रखना चाहिए पर हर इसांन को अपने व्य़क्तित्व एवं महत्व को पहचाना चाहिए । तभी उसे आत्मा-गौरव और अमरत्व प्राप्त है । इस संसार में मनुष्य को कर्म से अपनी पहचान बनाना चाहिए । निरास हौकर बैठाना मनुष्य के लिए लज्जाजनक है ।

(ङ)         कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखो।

उत्तरः कविता का मूल प्रतिपाद् ये है कि कर्मठ हैना चाहिए। निराश होकर बैठना मनुष्य के लिए लज्जजनक है । मनुष्य को अनुकूल अवसर हाथ से नहीं जाने देना चाहिए ।मनुषय को चाहिए कि वह अपने महत्व एवं व्यक्तित्व की पहचाने, तभी उसे आत्म गैरव और अमरत्व प्राप्त हो सकता है । निजस्व आत्म गैरव को किसी भी परिस्थिति में घटने देना नहीं चाहिए, और कुछ खास काम करके जगवासी को अपने पहचान देना चाहिए ।


   (इ)                     सप्रसंग व्य़ाख्य़ा करो (लगभग 100 शब्दों में)

(क)      संभाले कि सु-य़ोग न जाए चला,

कब व्य़र्थ हुआ सदुपाय भला ?

उत्तरः उत्तरः प्रसंगः प्रस्तुत पंक्तिय़ाँ हमारे हिन्दी पाय्ठ पुस्तक आलोक भाग 2के अंतर्गत राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी द्दारा  लिखी गई प्रेरणादायक कविता नर हो, नो निराश करो मन को  से लिखा गया है ।

सन्दर्भः इन प्रंक्तियो में कवि मनुष्य को अपने सुअवसरों का सही इस्तेमाल करने के लिए महत्वपूर्ण हितोपदेश दिया है ।

व्य़ाख्य़ाः कवि के अनुसार मनुष्य को अनुकील अवसर हाथ से जाने देना नही चाहिए । समय रहने से ही उस अवसरों का सदप्रयोग करना चाहिए  क्य़ोंकि बार बार ये अवसर हमलोगों कि हाथ नही आते है । सही तरह से कोशिस करने से कभी भी व्यर्थ नही होता । निराश न बैठकर अपने कामों को सही तरीके से निभाना चाहिए । समय किसी के लिए भी नही रुकता है ।  

 

(ख)      जब  प्राप्त तुम्हें सब तव्त यहाँ,

फिर जा सकता वह सत्व कहाँ ?

उत्तरः प्रसंगः प्रस्तुत पंक्तिय़ाँ हमारे हिन्दी पाय्ठ पुस्तक आलोक भाग 2के अंतर्गत राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी द्दारा  लिखी गई प्रेरणादायक कविता नर हो, नो निराश करो मन को  से लिखा गया है ।

सन्दर्भः इन प्रंक्तियो में कवि मनुष्य को अपने महत्व तथा व्य़क्तित्व को पहँचानकर आगे बढ़ाने का उपदेश दियी है ।


व्य़ाख्य़ाः मनुष्य जीवन कर्मी का समष्टि  है । लेकिन उसमें कुछ लोग ही अपने कर्मी से अमर बन जाता है ।  य़हा कुछ लोग ही अपने कर्मी का सही मायने देकर जग में अपना पहचान बना सकते है ।  कवि कहते है कि अपने का जग में सही पहचान बनाने के ले सब मनुष्य में आत्म बिशवास तथा आत्म गैरव होना चाहिए । जग का सारा तत्व हासिल करके अपने को उसमे बेकार छोड़ देना मूर्खता है ।




   1 .   कविता के आधार पर इन शब्दों के तुकांत शब्दों लिखोः

   अर्थ, तन, चला, सपना, तत्व, यहाँ, ज्ञान, मान

उत्तरः

    अर्थ     :  र्थ ।

    तन         :  

   चला     :  ला ।

  सपना     :  ना ।

   तत्व          :  त्व ।

   यहाँ     :   हाँ ।

  ज्ञान     :   ध्य़ान ।

  मान     :   न ।

 

    2.    इन शब्दों में उपसर्ग अलग करोः

 व्य़र्थ, उपयुक्त, सु-योग, सदुपाय़, प्रशास्त, अवलम्बन, निराश ।

उत्तरः

    व्य़र्थ   :  वि

 उपयुक्त    : उप

  सु-योग   : सु

  सदुपाय़   : सत्

  प्रशास्त   :  प्र

अवलम्बन  : अव

   निराश  : नि


    3.   इन शब्दों में विलोम शब्दो लिखोः

निज, उपयुक्त, निराश, अपना, सुधा, ज्ञान, मान, जन्म।

उत्तरः

     निज     : पर

उपयुक्त     : अनुपयुक्त

 निराश    : आशा

 अपना    : पराया

  सुधा      : हलाहल

  ज्ञान    : अज्ञान

  मान    : अपमान

  जन्म   : मूत्यु।

    4.   इन शब्दों के तीन-तीन पर्य़ायवाची शब्द लिखो‑

नर, जग, अर्थ, पथ, आखिलेशवर

उत्तरः

     नर       = मनुष्य़, मानव, मानुष्य ।

    जग        = धरा, धरणी, भूमि ।

    अर्थ        = धन, लक्ष्मी, सम्पति ।

    पथ         = मार्ग, राह, सड़क ।

 आखिलेशवर    = ईशवर, परमेशवर, प्रभु ।

 

   5.    इन शब्दों के तीन-तीन पर्य़ावाची शब्दों लिखोः

अमरत्व शब्दों में त्व प्रत्य़य लगा है । भाववाचक त्व प्रत्य़य खासकर भाववाचक संज्ञा का चतक  है ।

त्व प्रत्य़यवाले किन्हीं दस शब्द लिखो ।

उत्तरः

            1. भातृत्व ।

            2. वंधुत्व ।

            3. पितृत्व ।

            4. कर्तृत्व ।

            5. महत्व ।

            6. श्रेष्ठत्व ।

            7. कबित्व ।

            8. नेतृत्व । 

            9. गुरत्व ।

           10. रसित्व .।

   

 Published  By Abhiman Das


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