छोटा जादूगर Question Answer, Class 10 hindi Chapter 2 Questions Answer
छोटा जादुगर
1. सही विकल्प का चय़न करोः
(क)बाबु जयशकंर प्रसाद का जन्म हुआ था ?
उत्तरः बाबु जयशकंर प्रसाद का जन्म हुआ था काशी में ।
(ख) जयशंकर प्रसाद जी का साहित्य़क जीवन किस नाम से आरंभ हुआ था?
उत्तरः कलाधर नाम से ।
(ग) प्रसाद जी का देहावसन कब हुआ था?
उत्तरः 1937 ई.मे. ।
(घ) कार्निवाल के मैदान मैं लड़का चुपचाज किसे देख रहा था ?
उत्तरः शरबत पीने वालों को ।
(ङ) लड़के को जादुगर का कैन कैन सा खेल अच्छा मालूम हुआ ता ?
उत्तरः खिलनो पर निशाना लगाना ।
2. पूर्ण भागों में उत्तर दो
(क) जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित
प्रथम कहानी का नाम क्या है?
उत्तर: जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित प्रथम कहानी का नाम है ग्राम।
(ख) प्रसाद जी द्वारा विरचित
महाकाव्य का नाम बताओ।
उत्तर: प्रसाद जी द्वारा विरचित महाकाव्य का नाम है'लहर' और 'कामायनी'।
(ग) लड़का जादूगर को क्या समझता था?
उत्तर: लड़का जादूगर को निकम्मा समझता था।
(घ) लड़का तमाशा देखने पर्दे में
क्यों नहीं गया था?
उत्तर: लड़का तमाशा देखने पर्दे में इसलिए नहीं गया क्योंकि उसके पास टिकट के पैसे
नहीं थे।
(ङ) श्रीमान ने कितने टिकट खरीद कर
लड़के को दिए थे?
उत्तर: श्रीमान ने बारह टिकट खरीदकर लड़के को दिए थे।
(च) लड़के ने हिंडोले से अपना परिचय
किस प्रकार दिया था?
उत्तर: लड़के ने हिंडोले से अपना परिचय 'छोटा जादूगर' कहकर म दिया था।
(छ) बालक (छोटा जादूगर) को किसने
बहुत ही शीघ्र चतुर बना दिया था?
उत्तर: बालक को ग़रीबी पन और आवश्यकताओं ने बहुत ही शीघ्र चतुर बना दिया था।
(ज) श्रीमान कोलकाता में किस अवसर
की छुट्टी बिता रहे थे?
उत्तर: श्रीमान कोलकाता में बड़े अवसर की छुट्टी बिता रहे थे।
(झ) सड़क के किनारे कपड़े पर सजे
रंगमंच पर खेल दिखाते समय छोटे जादूगर की वाणी में स्वभावसुलभ प्रसन्नता की तरी
क्यों नहीं थी?
उत्तर: सड़क के किनारे कपड़े पर सजे रंगमंच पर खेल दिखाते समय छोटे जादूगर की वाणी
में स्वभावसुलभ प्रसन्नता की तरी इसलिए नहीं थी क्योंकि उसकी मां ने उसे कहा है कि "आज तुरंत घर चले आना।
मेरी घड़ी समीप है।"
() मृत्यु से ठीक पहले छोटे जादूगर की
मां के मुंह से कौन सा अधूरा शब्द निकला था?
उत्तरः मृत्यु से
ठीक पहले छोटे जादूगर की मां के मुंह से 'बे....' शब्द निकला था ।
3. अति संक्षिप्त उत्तर दोः
(क) बाबू जयशंकर प्रसाद की बहुमुखी
प्रतिभा का परिचय किन क्षेत्रों में मिलता है?
उत्तर: बाबू जयशंकर प्रसाद जी की
बहुमुखी प्रतिभा का परिचय कविता, नाटक, कहानी, उपन्यास, निबंध और आलोचना के
क्षेत्र में अमर लेखनियों में मिलता है।
(ख) श्रीमान ने छोटे जादूगर को
पहली भेंट के दौरान किस रूप में देखा था?
उत्तर: श्रीमान ने छोटे जादूगर को एक शरबत वाले की ओर उसे देखता हुआ पाया। उसके गले
में फटे कुरते के ऊपर एक मोटी- सी सूत की रस्सी पड़ी थी और जेब में कुछ ताश के
पत्ते थे। जिसके मुँह पर गंभीर दर्द के साथ धैर्य भी था और जिसके अभाव में भी
सम्पूर्णता थी।
(ग) "वहां जाकर क्या
कीजिएगा?" छोटे जादूगर ने ऐसा कब कहा था?
उत्तर: जब श्रीमान छोटे जादूगर को
पर्दे के उस पार टिकट खरीद कर ले जाने को तैयार हुए तब छोटे जादूगर ने इस बात से
इनकार करते हुए कहा कि "वहां जाकर क्या कीजिएगा?"
(घ) निशानेबाज के रूप में छोटे
जादूगर की कार्य-कुशलता का वर्णन करो।
उत्तर: निशानेबाज के रूप में छोटा जादूगर एक पक्का निशानेबाज निकला। जिसका एक भी
गेंद खाली नहीं गया। खिलौने गिराने के खेल में उसने बारह गेंदों में बारह खिलौने
बटोर लिए।
(ङ) कोलकात्ते के बोटानिकल
उद्यान में श्रीमान-श्रीमती को छोटा जादूगर किस रूप मंर मिला था?
उत्तर: कोलकाता के बोटानिकल उद्यान में श्रीमान श्रीमती को छोटा जादूगर जादू दिखाने
वाले एक कलाकार के रूप में मिला था। जिसके हाथ में चारखाने की खादी का झोला था।
आधी बाँहों का कुरता, सिर पर रुमाल सूत की
रस्सी से बंँधा हुआ, जो मस्तानी चाल से झूमता
हुआ उनकी ओर आ रहा था।
(च) कोलकात्ते के बोटानिकल
उद्यान में श्रीमान ने जब छोटे जादूगर को 'लड़के!' कहकर संबोधित किया, तो उत्तर में उसने क्या कहा?
उत्तर: कोलकाता के बोटानिकल उद्यान में श्रीमान ने जब छोटे जादूगर को 'लड़के!' कहकर संबोधित किया, तो उत्तर में छोटे जादूगर ने कहा कि "छोटा जादूगर कहिए। यही मेरा नाम है।
इसी से मेरी जीविका है।"
(छ)"आज तुम्हारा खेल जमा
क्यों नहीं?"- इस प्रश्न के उत्तर में छोटे
जादूगर ने क्या कहा?
उत्तर: इस प्रश्न के उत्तर में छोटे जादूगर ने कहा कि "माँ ने कहा है कि आज
तुरंत चले आना। मेरी घड़ी समीप है।"इस बात को लेकर वह अंदर ही अंदर दुखी था।
जिसके कारण खेल जमा नहीं।
4. संक्षिप्त उत्तर दो:
(क) "क्यों जी, तुमने इसमें क्या देखा?"- इस प्रश्न का उत्तर छोटे जादूगर ने किस प्रकार दिया
था?
उत्तर: श्रीमान ने जब छोटे जादूगर को शरबत वाले को गंभीर भाव से देखते हुए देखा तो
श्रीमान ने प्रश्न किया कि "क्यों जी, तुमने इसमें क्या देखा?" इसका तुरंत उत्तर देते
हुए छोटे जादूगर ने कहा कि उसने सब देखा है, कि यहाँ चूड़ी फेंकते हैं। खिलौने पर निशाना लगाते हैं। तीर से नंबर छेदते है।
और उसे खिलौने पर निशाना लगाना सबसे अच्छा लगता है। उसने यह भी कहा कि उसे बड़े
जादूगर निकम्मे लगते हैं। उन बड़े जादूगर से अच्छा ताश का खेल वह खुद दिखा सकता
है।
(ख) अपने मां-बाप से संबंधित प्रशनों
के उत्तर में छोटे जादूगर ने क्या-क्या कहा था?
उत्तर: शरबत पीकर दोनों जब निशाने लगाने चले तब रास्ते में ही श्रीमान ने छोटे
जादूगर को उसके माता पिता से संबंधित प्रश्न पूछना आरंभ किया। उसके उत्तर में उसने
बताया कि उसके बाबूजी देश के लिए जेल में हैं और उसकी माँ बीमार है। और वह यहाँ
तमाशा देखने नहीं बल्कि दिखाने आया है। तमाशा दिखा कर उनसे कुछ पैसे कमाकर अपनी
मां को देना चाहता है। छोटे जादूगर ने श्रीमान से यहाँ तक कह दिया था कि शरबत ना
पिलाकर अगर उसका खेल देखकर उसे कुछ पैसे दे दिए होते तो वह अधिक प्रसन्न होता।
(ग) श्रीमान ने तेरह-चौदह वर्ष
के छोटे जादूगर को किसलिए आश्चर्य से देखा था?
उत्तर: श्रीमान द्वारा किए गए प्रश्नों के उत्तर मैं जब छोटे जादूगर ने बड़े स्पष्ट
शब्दों में कहा कि, वह तमाशा देखने नहीं
बल्कि दिखाने आया है। तमाशा दिखाकर उनसे जो पैसा इकट्ठा होगा उससे वह अपनी माँ के
लिए दवा खरीदेगा और बाकी बचे पैसे अपनी माँ को दे देगा। उसने सीधे शब्दों में
श्रीमान से कह दिया था कि वे अगर शरबत ना पिलाकर उसके बदले उसका खेल देखकर कुछ
पैसे दे देते तो वह ज्यादा खुश होता। छोटी सी उम्र में उसकी ऐसी बातें और मां के
प्रति सेवा को देखकर श्रीमान आश्चर्य से छोटे जादूगर को देख रहे थे।
(घ) श्रीमती के आग्रह पर छोटे
जादूगर ने किस प्रकार अपना खेल दिखाया?
उत्तर: श्रीमती के आग्रह पर छोटे जादूगर ने कार्निवल में जीते गए खिलौनों को बाहर
निकाला और एक- एक करके सारे खिलौने से वह अपने हाथों और मुंँह से अभिनय करके
दिखाने लगा। जिसमें भालू का मनाना, बिल्ली का रूठना, बंदर का घुड़कना, यहां तक गुड्डा गुड्डी
का ब्याह तक शामिल था। मसालेदार कहानी द्वारा किए गए अभिनव से सारा माहौल मनोरंजन
से भर गया था। इसके अलावा उसने जादू से भी सबका दिल बहलाया। ताश के पत्तों से फटाक
से रंग बदल देता, टुकड़े-टुकड़े रस्सी को जोड़ देता और लड्डू को इस प्रकार घुमाता की वह अपने आप
नाचने लगते।
(ङ) हवड़ा की ओर आते समय छोटे
जादूगर और उसकी मांँ के साथ श्रीमान की भेंट किस प्रकार हुई थी?
उत्तर: हवड़ा की और आते समय श्रीमान उस छोटे जादूगर के बारे में ही सोच रहे थे कि
झोपड़ी के पास कम्बल कांधे पर डाले खड़ा छोटा जादूगर उन्हें दिखाई दिया। श्रीमान
ने उसे उसके वहाँ खड़े रहने का कारण पूछा तो उसने बताया कि अस्पताल वालों ने उसकी
माँ को निकाल दिया है और उसकी माँ झोपड़ी में ही है। तब श्रीमान गाड़ी से उतरे और
झोपड़ी में देखा कि फटे पुराने कपड़ों में
लदी छोटे जादूगर की माँ काँप रही है। इस प्रकार
छोटे जादूगर एवं उसकी माँ से श्रीमान की भेंट हुई।
(च) सड़क के किनारे कपड़े पर
सजे रंगमंच पर छोटा जादूगर किस मन:स्थिति में और किस प्रकार खेल दिखा रहा था?
उत्तर: सड़क के किनारे कपड़े पर सजे रंगमंच पर छोटा जादूगर उस दिन मानसिक तनाव में
था। क्योंकि उसकी माँ की तबीयत बहुत खराब हो गई थी। मांँ के द्वारा कहे गए वाक्य-
"मेरी घड़ी समीप है" इस बात को लेकर वह अंदर ही अंदर दुखी था। वह
प्रसन्नता का दिखावा करते हुए लोगों को हंसाने की चेष्टा कर रहा था। पर उसके
शब्दों में प्रसन्नता की तरी नहीं थी। जब औरों को हंसाने का प्रयास करता तब वह
स्वयं काँप जाता। मानो उसके रोए रो रहे हों। उसका मन दुखी होने के कारण उसके खेल
में भी वह प्रसन्नता की झलक और दिनों के मुकाबले फीका था।
(छ) छोटे जादूगर और उसकी मांँ
के साथ श्रीमान की अंतिम भेंट का अपने शब्दों में वर्णन करो।
उत्तर: श्रीमान ने छोटे जादूगर को दुखी होता हुआ देखा। कारण पूछने पर उसने कहा कि
उसकी माँ की तबीयत बहुत खराब है। वह मौत की अंतिम सांँसे गिन रही है। छोटे जादूगर
के बातों को सुन श्रीमान ने उसे अपने गाड़ी में बिठाया और उसके झोपड़ी तक ले गया।
गाड़ी से उतरते ही छोटे जादूगर दौड़कर झोपड़ी में घुसा और अपनी माँ को पुकारने लगा।
उसके पीछे पीछे श्रीमान भी झोपड़ी के अंदर घूस चुके थे। बेटे की आवाज सुनकर माँ के
मुँह से सिर्फ 'बे...' शब्द निकल कर रह गए।
उसके दुर्बल हाथ बेटे की ओर बढ़े ही थे कि झटक से उसका हाथ नीचे गिर पड़ा और उसने
अपने प्राण त्याग दिए। जादूगर अपनी माँ से लिपट कर फूट-फूट कर रोने लगा। जिसको देख
श्रीमान स्थिर रह गए और दुनिया मानो जादू की तरह उनकी आँखों के चारों ओर नित्य
करने लगे।
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