स्वाधीनता संग्राम में पूर्वोत्तर की
वीरांगनाएँ
1. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:
(क) स्वाधीनता दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर: हर साल 15 अगस्त को स्वाधीनता दिवस मनाया जाता है।
(ख) स्वाधीनता से पहले हमारे देश का नियंत्रण किस के हाथों में था?
उत्तर: स्वाधीनता से पहले हमारे देश का नियंत्रण अंग्रेजों के हाथों में था।
(ग) 'भारत छोड़ो' आंदोलन के दौरान असम की कौन-सी बालिका शहीद हुई थी? वह कहाँ की रहने वाली थी?
उत्तर: 'भारत छोड़ो'आंदोलन के दौरान असम की वीरांगना कनकलता शहीद हुई थी। वह तेजपुर की रहने वाली थी।
(घ) स्वाधीनता आंदोलन का नेतृत्व किसने किया था?
उत्तर: स्वाधीनता आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी जी ने किया था।
(ङ) हेलेन लेपचा किस नाम से जानी जाती थी?
उत्तर: हेलेन लेपचा 'सावित्री देवी' नाम से भी जानी जाती थी।
2. नीचे दिए गए कथनों को ध्यानपूर्वक पढ़िकर सही [√] अथवा गलत [×] का निशान लगाओ:
(क) देशवासियों ने मिलकर अंग्रेजों के विरोध में आवाज उठाई। [√]
(ख) स्वाधीनता की लड़ाई पूर्वोत्तर भारत में नहीं लड़ी गई। [×]
(ग) वर्तमान पूर्वोत्तर भारत में कुल 8 राज्य है। [√]
(घ) रानी गाइदिंल्यू असम की वीरांगना थी? [×]
(ङ) स्वाधीनता के लिए लड़ने वाले यश के बारे में नहीं सोचते। [√]
3. संक्षिप्त उत्तर लिखो:
(क) दोपहर के विराम में कक्षा के भीतर क्या चल रहा था?
उत्तर: दोपहर के विराम में कक्षा के भीतर तेजपुर जाने वाले और वहांँ न जा पाने वाले विद्यार्थियों के बीच कनकलता की मूर्ति के बारे में बातचीत चल रही थी।
(ख) असम की किन्ही पाँच वीरांगनाओं के नाम बताओ।
उत्तर: असम की पाँच वीरांगनाएँ हैं-
(i) कनकलाता बरूआ
(ii) भोगेश्वरी फुकननी
(iii) अमलप्रभा दास,
(iv) पुष्पलता दास और
(v) चंद्रप्रभा शइकीयानी।
(ग) असम से भिन्न पूर्वोत्तर भारत की किन्ही तीन वीरांगनाओं के नाम और संग्राम-क्षेत्र बताओ।
उत्तर: नीचे असम से भिन्न पूर्वोत्तर भारत के तीन वीरांगनाओं के नाम और उनके संग्राम-क्षेत्र लिखे गए हैं-
(i) नागारानी गाइदिंल्यु - नागालैंड से
(ii) रोपुइलियानी - मिजोरम से
(iii) राशिमनी हाजो - मेघालय से
(घ) कनकलाता किस प्रकार देश की स्वाधीनता के लिए शहीद हो गई थी?
उत्तर: 'भारत छोड़ो' आंदोलन के दौरान तेजपुर के पास गहपुर नामक जगह में थाने पर हमारा तिरंगा फहराने के लिए लोग जुलूस बना कर आए थे। उस जुलूस में तिरंगा पकड़े सबसे आगे कनकलता ही थी। पुलिस ने जुलूस को रोकने का प्रयास किया लेकिन कनकलता और उसके साथी आगे बढ़ते गए, तो गुस्से में आकर पुलिस के दारोगा ने कनकलता पर गोली चला दी। इसी प्रकार कनक लता देश की आजादी के लिए शहीद हो गई।