तुम कब जाओगे, अतिथि Class 7 Hindi Chapter 15 Question And Answers Solution.

Lokesh Chandra Das

 

तुम कब जाओगे, अतिथि





1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पूर्व वाक्य में दो:

() लेखक अतिथि को दिखाकर कैलेंडर की तारीखें क्यों बदल रहे थे?

उत्तर: लेखक अतिथि को कैलेंडर की तारीखें दिखाकर यह बताना चाहता था कि उसका इस घर में चौथा दिन हो चुका है कृपया वह इस बात को समझें और अपने घर लौट जाए



() लेखक तथा उनकी पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया था?

उत्तर: लेखक ने मेहमान का स्वागत स्नेह भरी मुस्कुराहट के साथ और उसकी पत्नी ने सादर नमस्ते करके किया था


() मेहमान के स्वागत में दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गई थी?

उत्तर: मेहमान के स्वागत में दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की गई थी

() तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?

उत्तर: तीसरे दिन सुबह अतिथि ने अपने मित्र से कहा कि वह धोबी को कपड़े देना चाहता है


() सत्कार की उष्मा समाप्त हो जाने पर क्या हुआ ?

उत्तर: सत्कार की उष्मा समाप्त हो जाने पर डिनर का खाद्य अब खिचड़ी पर पहुंँचा था



2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दो:

 

() मेहमान के आते ही लेखक पर क्या प्रतिक्रिया हुई ?

उत्तर: जब लेखक ने अपने मेहमान को देखा तो वे अंदर ही अंदर सोचने लगे कि अब उन्हें अतिथि के सत्कार के लिए पैसे खर्च करने पड़ेंगे उनकी आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी फिर भी उन्होंने एक स्नेह भरी मुस्कुराहट के साथ गले लगाते हुए अतिथि का स्वागत किया


() मेहमान के स्वागत में रात्रि-भोज को किस प्रकार गरिमापूर्ण बनाया गया था ?

उत्तर: मेहमान के स्वागत में रात्रि भोज को एकाएक उच्च मध्यम वर्ग के डिनर में बदल दिया गया जिसमें दो सब्जियों और रायते के अलावा मीठा भी बनवाया गया था

() लेखक के लिए कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और क्यों?

उत्तर: अतिथि का यह कहना कि 'मैं धोबी को कपड़ा देना चाहता हूँ' यह आघात लेखक के लिए अप्रत्याशित था

        क्योंकि लेखक को लगा था की तीसरे दिन की सुबह को अतिथि अपने घर लौट जाएंगे लेकिन जब अतिथि ने धोबी को कपड़े देने की बात कही तो उनका अनुमान गलत निकला और उनके मन में आघात पहुँचा


() लेखक का सौहार्द बोरियत में क्यों बदल गया?

उत्तर: लेखक ने अपने मित्र अतिथि का स्वागत बड़े नम्रता और मुस्कुराहट से किया था पहले दिन दोनों कमरे में बैठ परिवार, बच्चे, नौकरी, फिल्म राजनीति, सहित, यहाँ तक की पुरानी-प्रेमिकाओं को लेकर भी खूब ठहाके मारते हुए बातें किए परंतु उसी कमरे में अब सन्नाटा है अतिथि का चौथे दिन तक ठहरना लेखक के लिए असहनीय हो चुका था लेखक की कोमल वाणी में अब धीरे धीरे कठोरता आने लगी थी इस कारण अब लेखक का सौहार्द बोरियत ने बदल गया



() अतिथि कब देवता होता है और कब राक्षस हो जाता है?

उत्तर: जब कभी किसी के घर में अतिथि का आगमन होता है तो उस स्थिति को देवता के समान माना जाता है इसलिए हमारे देश में अतिथि को 'अतिथिदेवो भव' कहा जाता है जब अतिथि एक या दो दिन के लिए आते हैं तो उसके स्वागत-सत्कार में कोई कमी नहीं होती उस समय उस स्थिति को देवता का दर्जा दिया जाता है

            परंतु वही अतिथि कई दिनों तक डेरा डाले ठहरता है, तो उसके प्रति घर के लोगों में विरत्ती पैदा होती है तब वह उस घर के लिए देवता के बजाएं राक्षस बन जाता है



3. उत्तर दो:

() लेखक ने अतिथि को विदा लेने का संकेत किन-किन उपायों से  दिया?

उत्तर: लेखक ने अतिथि को विदा लेने का संकेत कई तरह के उपायों से दिया है जैसे:-

(i) कैलेंडर की तारीखों को दिखाकर

(ii) चाँद पर जाने वाले एस्ट्राॅनाटस का उदाहरण देकर

(iii) होम स्वीट होम का उदाहरण देते हुए कहना कि लोग दूसरों के होम की स्वीटनेस को काटने दौड़े

 

() अतिथि के अपेक्षा से अधिक रुक जाने पर लेखक के मन में क्या-क्या प्रतिक्रियाएँ हुई उन्हें छाँटकर क्रम से लिखो

उत्तर:- अतिथि के अपेक्षा से अधिक रुक जाने पर लेखक के मन में तरह-तरह के प्रतिक्रियाएं उत्पन्न हुए थे वे प्रतिक्रियाएं कुछ इस प्रकार थे:-

 

(i) दूसरे दिन लेखक को आशा थी कि वह रेल से एक शानदार मेहमानबाजी की छाप अपने हृदय में ले जाएगा परंतु ऐसा नहीं हुआ, तो लेखक ने अपनी पीड़ा पी ली और प्रसन्न बने रहे

(ii) तीसरे दिन भी जब अतिथि रुक गए  तो उनके मन में पहली बार यह प्रश्न उत्पन्न हुआ कि अतिथि सदैव देवता नहीं होता वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है

(iii) चौथा दिन भी जब अतिथि नहीं गए तो अतिथि के प्रति उनका हृदय धीरे-धीरे बोरियत में रूपांतरित होने लगा था

(iv) पाँचवें दिन की सुबह तक तो उनकी सहनशीलता टूटने ही वाली थी उन्हें लगा कि अगर वह आज भी नहीं गए तो वह लड़खड़ा जाएगा

 

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