भारतीय संगीत की एक झलक
1. निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए उत्तरों में से एक सही है। सही उत्तर का चयन करो:
(क) 'दिल घूम घूम करे घबराए........... बरसाए इस गीत के रचयिता।' है-
(i) लता मंगेशकर (ii) भूपेन हाजरिका
(iii) ए.आर. रहमान (iv) जावेद अख्तर
उत्तर: (ii) भूपेन हाजरिका
(ख) अकबर के राज दरबार के संगीतज्ञ थे-
(i) बीरबल (ii) हुमायूँ
(iii) तानसेन (iv) अबुल फलाज
उत्तर: (iii) तानसेन
(ग) भारतीय संगीत की शुरुआत कब हुई थी?
(i) वैदिक युग से (ii) नव प्रस्तर युग से
(iii) भक्ति युग से (iv) आधुनिक युग से
उत्तर: (i) वैदिक युग से
(घ) पं. रविशंकर किस वाद्य के श्रेष्ठ कलाकार हैं?
(i) तबला (ii) शनाई
(iii) सितार (iv) सरोद
उत्तर: सितार
(ङ) भारतीय संगीत की कितनी प्रचलित धाराएँ हैं?
(i) एक (ii) दो
(iii) तीन (iv) चार
उत्तर: दो
2. उत्तर लिखो:
(क) आचार्य शंकरदेव के अनुसार संगीत की परिभाषा क्या है?
उत्तर: आचार्य शंकरदेव के अनुसार गीत वाद्य तथा नृत्य त्रयं संगीतमुच्यते।' अर्थात गीत, वाद्य और नृत्य इन तीनों कलाओं को एक साथ संगीत कहा जाता है। गीत शब्द के साथ 'सम' उपसर्ग मिलकर 'संगीत' शब्द बना है।
(ख) भारतीय शास्त्रीय संगीत की कितनी धाराएँ हैं? यह क्या-क्या है?
उत्तर: भारतीय शास्त्रीय संगीत की दो धाराएँ हैं। पहला है हिंदुस्तानी अथवा उत्तर भारतीय संगीत की धारा। दूसरा है कर्नाटकी अथवा दक्षिण भारतीय संगीत की धारा।
(ग) हिंदुस्तानी संगीत की धारा का प्रचलन कहाँ-कहाँ है?
उत्तर: हिंदुस्तानी संगीत की धारा का प्रचलन असम, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात आदि स्थानों में है।
(घ) दक्षिण भारतीय संगीत क्या है? इस धारा का संगीत कहाँ- कहाँ प्रचलित है?
उत्तर: दक्षिण भारतीय संगीत क स्वरो का उच्चारण हिंदुस्तानी संगीत की तरह नहीं होता। इसके उच्चारण गीतों की भाषाएँ तमिल, तेलुगू और मलयालम आदि में होते हैं। यह खासतौर पर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल आदि स्थानों में प्रचलित है।
(ङ) नेहा ने शास्त्रीय संगीत सीखने का निश्चय क्यों लिया?
उत्तर: नेहा ने शास्त्रीय संगीत सीखने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि उसे शास्त्रीय संगीत के बारे में काफी जानकारी मिल चुकी थी और उससे मालूम हो चला था कि शास्त्रीय संगीत भारतीय संगीत का एक अविच्छिन्न अंग है।
(च) सत्रीय नृत्य के प्रवर्तक कौन है? इसे लोकप्रिय बनाने में किन कलाकारों का योगदान है?
उत्तर: सत्रीय नित्य के प्रवर्तक महापुरुष शंकरदेव जी है। इसे लोकप्रिय बनाने में मणिराम बायन मुक्तियार, रखेश्वर शइकीया 'बरबायन' और नृत्याचार्य यतीन गोस्वामी आदि कलाकारों का योगदान है।